क्या परिवारवाद की विरोधी भाजपा पर परिवारवाद हो गया हावी? उठने लगे बगावत के सुर, शुरु हुआ इस्तीफों का दौर।
देश भर में परिवारवाद का विरोध करने वाली भारतीय जनता पार्टी क्या शक्ति में परिवारवाद का शिकार हो गई है शक्ति नगर पालिका के अध्यक्ष पद प्रत्याशी के नाम की घोषणा होने के साथ ही भारतीय जनता पार्टी के अंदरूनी कलह सामने आने लगी साथ ही भारतीय जनता पार्टी पर परिवारवाद का आरोप भी लगने लग गया भारतीय जनता पार्टी द्वारा शक्ति नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद हेतु जैसे ही चिराग अग्रवाल के नाम की घोषणा की पार्टी के अंदर ढके छुपे शब्दों में होने वाला विरोध खुलकर सामने आने लग गया ।
ज्ञात हो कि चिराग अग्रवाल भारतीय जनता पार्टी के पुराने नेता तथा पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष राम अवतार अग्रवाल के भतीजे हैं और पिछले कुछ समय से ही भारतीय जनता पार्टी में सक्रिय है उन्हें किसी भी प्रकार का चुनाव लड़ने का अनुभव नहीं इस पर भारतीय जनता पार्टी के ही कई सदस्यों तथा पदाधिकारीयों द्वारा ढके छुपे शब्दों में परिवारवाद की तरफ इशारा करते हुए विरोध करना प्रारंभ कर दिया वहीं दूसरे तरफ कुछ लोगों ने खुलकर सामने आकर विरोध करना प्रारंभ कर दिया उनमें से एक पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष तथा वर्तमान में भाजपा जिला उपाध्यक्ष संजय रामचंद्र जोकी शक्ति नगर पालिका अध्यक्ष प्रत्याशी बनने के प्रमुख दावेदारों में से एक थे पार्टी के इस फैसले से अपना विरोध जताते हुए भाजपा से अपने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है इस्तीफा देते हुए उन्होंने स्वयं के नाम को वरिष्ठता के साथ ना भेजे जाने तथा पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी पूर्व जिला अध्यक्ष के के चंद्रा पूर्व विधायक खिलावन साहू तथा भाजपा शक्ति विधानसभा के प्रभारी गुरुपाल भल्ला पर भी आरोप लगाए हैं , अपने त्यागपत्र में उन्होंने स्वयं को राजनीतिक परिवार का न होने की बात बोलकर वर्तमान फैसले पर परिवारवाद की तरफ खुला इशारा किया है।
इस विषय पर रिपोर्टरगिरी डॉट कॉम ने कल ही एक समाचार प्रकाशित किया था कि
( शक्ति में कहीं भारी न पड़ जाए भाजपा को चौंकाने वाला नाम सामने लाना)
भले ही उस समाचार में विकास अग्रवाल का नाम उदाहरण के तौर पर सामने लाया गया था परंतु चिराग अग्रवाल का नाम भी चौंकाने वाला ही साबित हुआ और भाजपा पर भारी पड़ता नजर भी आ रहा है ज्ञात होगी संजय रामचंद्र लंबे समय से राजनीति से जुड़े हुए हैं और पिछले एक दशक से ज्यादा का समय भाजपा के सदस्य तथा कई पदों पर पदाधिकारी के तौर पर बिता चुके हैं उनका पार्टी छोड़कर जाना भाजपा के लिए निश्चित ही झटका साबित हो सकता है।
जहां संजय रामचंद खुलकर पार्टी के विरोध में सामने आ गए हैं वहीं अध्यक्ष पद की दावेदारी करने वाले विकास अग्रवाल जिनका नाम एक दिन पूर्व तक लगभग तय माना जा रहा था उन्होंने पार्टी के प्रत्याशी को समर्थन देते हुए पार्टी तथा संगठन के साथ कार्य करने की बात की है।