11 वर्षीय गर्वित शर्मा ने कोतबा मुख्य नगर पालिका अधिकारी का एकदिवसीय सांकेतिक पदभार संभाला,कहा मैं भी बड़ा होकर बनूँगा सीएमओ





कोतबा:- विश्व बाल दिवस के अवसर पर यूनिसेफ द्वारा संचालित किड्स टेक ओवर कार्यक्रम अंतर्गत यूनिसेफ की पहल पर मीडिया कलेक्टिव फ़ॉर चाईल्ड राईट के सदस्य मयंक शर्मा व सजन बंजारा के मार्गदर्शन में 11 वर्षीय गर्वित शर्मा कोतबा मुख्य नगर पालिका अधिकारी का एकदिवसीय सांकेतिक पदभार संभाला कक्षा 5वी के छात्र गर्वित शर्मा को सीएमओ अंकुल ठाकुर नगर पंचायत कोतबा द्वारा अपनी कुर्सी में बैठा कर सम्मानित किया।

रविवार सुबह कोतबा नगर पंचायत कार्यालय में छुट्टी नही थी वजह था। 11 वर्षीय सीएमओ गर्वित शर्मा जिसे कार्यालयीन समय पर सुबह से ही एमसीसीआर सदस्य व नगर पंचायत कोतबा के सीएमओ ने यूनिसेफ द्वारा संचालित कार्यक्रमकिड्स टेक ओवर के तहत एक दिन का सीएमओ बनाते हुए सांकेतिक पदभार ग्रहण कराया। जिसके बाद सीएमओ ने गर्वित शर्मा को अपने कर्तव्यों व दायित्वों की बारीकी से जानकारी दी जिसके बाद गर्वित को नगर पंचायत कार्यालय की विभिन्न शाखाओ का भ्रमण कराते हुए कार्यालय संचालन की जानकारी दी जिसमे सबसे पहले आवक जावक शाखा,जन्ममृत्य पंजीयन, तकनीकी शाखा,राजस्व शाखा,कम्प्यूटर कक्ष,सभागार आदि का भ्रमण करा कर प्रत्येक कार्य संचालन विधि की जानकारी बारी बारी से दी गई।जिसके बाद पीडीएस दुकान ले जा कर शाशन की जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी गई। जिसके बाद एसएलआरएम सेंटर कोतबा का भ्रमण कराया गया जहाँ छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना के संचालन की जानकारी दी गई। जिसमें गोबर खरीदी कर कम्पोस्ट खाद,जैविक खाद तैयार करने की विधि व विक्रय से हुई समूह की महिलाओं के आय व्यय की बारीकी से जानकारी नगर पंचायत सीएमओ द्वारा दी गई।जिसके बाद एमसीसीआर सदस्य मयंक शर्मा व सजन बंजारा द्वारा बाल अधिकार के सभी पहलुओं पर प्रकाश डाला गया ।कार्यक्रम के अंत मे एक दिन के सीएमओ बने गर्वित शर्मा ने बताया कि उसे एक दिन का सीएमओ बनकर बहुत अच्छा लगा मैं भी बड़ा होकर सीएमओ बनूँगा और नगरवासियों की सेवा करूँगा। जिसके बाद सीएमओ अंकुल ठाकुर व नगर पंचायत कर्मियों द्वारा गर्वित शर्मा को शिक्षा किट देकर विदाई की गई।
यूनिसेफ ने विश्व बाल दिवस (20 नवंबर) पर बच्चों के खिलाफ हिंसा और सीखने की हानि को प्रमुखता से उठाया है।किड्स टेक ओवर जैसे गतिविधियों का उद्देश्य बच्चों में सीखने की हानि, बच्चों के खिलाफ हिंसा और बाल अधिकारों जैसे मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाना हैं। यूनिसेफ छत्तीसगढ़ के प्रमुख जॉब जकारिया ने इस मौके पर कहा कि बच्चों के खिलाफ हिंसा न केवल बच्चों के अस्तित्व और स्वास्थ्य के लिए बल्कि उनके भावनात्मक कल्याण के लिए भी खतरा है। बच्चे व्यापक स्तर पर हिंसा का शिकार हो रहे हैं और भारत में लाखों बच्चों के लिए यह एक कठिन वास्तविकता बनी हुई है। साक्ष्य बताते हैं की इस महामारी के दौरान बच्चों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में वृद्धि हुई है और इसे समाप्त करने के लिए समाज में हर स्तर पर जागरूकता और उपयुक्त कार्रवाई की यूनिसेफ के प्रमुख जॉब जकारिया ने यह भी कहा कि बच्चों के सीखने से वंचित रहने के मुद्दे को उजागर करने और माता-पिता और समुदाय के समर्थन से स्कूलों में विशेष पैकेजों के माध्यम से सीखने की पुनः प्राप्ति “यह बाल श्रम, बाल विवाह या बाल तस्करी के कारण बच्चों के ड्रॉप-आउट के मुद्दे को भी उठाता है। यूनेस्को के अनुसार, स्कूल बंद होने के 1 महीने के परिणामस्वरूप 2 महीने का सीखने का नुकसान होता है। इसलिए, 1.5 साल के स्कूल बंद होने से छात्रों के लिए 3 साल का सीखने का नुकसान हुआ होगा। इसका मतलब है कि कक्षा 5 का छात्र अब कक्षा 2 के सीखने के स्तर पर है। यह एक गंभीर स्थिति हैं इसका उद्देश्य बाल अधिकारों को विश्व बाल दिवस (20 नवंबर ) के मुख्य केंद्र में लाना है I
