April 24, 2024

शुरू हो गई तोड़फोड़, पर एक लाइन के दुकानदार अभी भी आशान्वित, नहीं हटा रहे अपना सामान।


प्रशासन द्वारा बुधवारी बाजार क्षेत्र में 3 दिन का नोटिस बांटा गया था जिसमें लिखा था कि 3 दिवस के अंदर अपनी अपनी दुकाने स्वयं हटाने में अन्यथा प्रशासन बलपूर्वक उसको हो जाएगा और इनको तोड़फोड़ का जो भी व्यव होगा वह भी दुकानदार द्वारा वसूल किया जाएगा इसी तारतम्य में आज बाजार में स्थित पसरो की तोड़फोड़ प्रारंभ कर दी गई है परंतु मुख्य मार्ग के कई दुकानदार अभी भी आशान्वित हैं कि उनकी दुकानें बच सकती है जबकि बुधवारी बाजार स्थित पंडित दीनदयाल स्टेडियम में 3 जेसीबी आकर खड़ी हो चुकी है और कटर के लोग अपने लगभग सभी सामानों को हटाना चालू कर चुके हैं जहां हड़बड़ी में एक पक्ष के दुकानदार अपनी दुकान में और सामानों को खाली करने में लगे हुए हैं

ऐसे में दूसरी तरफ की दुकानदार इतने इतने आराम से बैठे हुए हैं कि जैसे कुछ होगा ही नहीं कहीं ऐसा तो नहीं है कि उन्हें विश्वास हो कि उनकी दुकान नहीं टूटेगी क्योंकि अगर उन्हें लगता है कि उनकी भी दुकान टूट सकती है तो वह भी अपने सामान को बचाने में लगे रहते क्योंकि अगर उनकी दुकान भी टूटे उनके सामानों का भी नुकसान होगा क्योंकि प्रशासन ने तीन जेसीबी मशीनें मंगवा कर अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं परंतु किसी बहकावे में या अति आशा में प्रमुख दुकानदार अपनी दुकानें अभी भी पूरी तरह से संचालित कर रहे हैं

अगर शासन-प्रशासन किसी प्रकार की करके उनकी दुकानें तोड़ेगा तो निश्चित तौर पर नुकसान उनका ही होगा और उसकी जिम्मेदारी शासन की तरफ डाली जाएगी यह बात बिल्कुल सही है कि शासन प्रशासन को तोड़फोड़ करने से पहले लोगों के विस्थापन की व्यवस्था करनी चाहिए थी जो कि नहीं की गई है जिस वजह से लोगों में नाराजगी है परंतु प्रशासन के सामने किसी भी प्रकार की जबरदस्ती नहीं चलती 10 वर्ष पूर्व की बातें अगर याद की जाए तब तक काली अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कार्तिकेय गोयल ने ऐसा ही कड़ा कदम उठाया था और तब से लेकर आज तक वहां से तोड़फोड़ हुए लोग व्यवस्थापन की बाट जो रहे हैं परंतु उनके व्यवस्थापन की कोई व्यवस्था नहीं हुई है हो सकता है कि यहां की तोड़फोड़ के बाद भी ना हो परंतु शासन-प्रशासन अगर अपनी जिद पर आता है तो उनसे लड़ना संभव नहीं रहता यहां विशेष बात यह है कि ना कांग्रेस ना भाजपा और ना की किसी अन्य राजनीतिक दल या सामाजिक कार्यकर्ता और जनप्रतिनिधि के द्वारा किसी प्रकार की कोई भी आंदोलन या आवाज तक उठाई नहीं जा रही है वह सिर्फ जिस समय वोट की आवश्यकता होती है उसी समय वोट मांगने आते हैं उसके बाद लोगों की समस्या का समाधान के लिए सामने नहीं आते

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