बहन के हत्यारे भाई को उम्र कैद की सजा
सक्ति_ अपर जिला एवं सत्र न्यायालय के ए.जी.पी. ऋषिकेश चौबे ने बताया कि किरण केवट निवासी सोंठी ने थाना शक्ति आकार रिपोर्ट दर्ज कराई की वह दिनांक 7.12. 2020 को शाम 4:00 बजे अपने पड़ोसी के घर बैठने के लिए जा रही थी, उसी समय उसकी ननंद कांता केवट साइकल को पटक रही थी जिसे मना करने पर वह उसे डांटने लगी, तब वह पड़ोसी के घर बैठने चली गई लगभग 15 मिनट बाद वह और उसका देवर रमेश केवट दोनों एक साथ घर वापस आए उसी समय उसका पति मनीष केवट अपनी बहन कांता के कमरे के दरवाजे को बंद करते हुए निकल रहा था और अपने भाई रमेश को बोला कि मैं बहन कांता के गले को दबाकर मार दिया हूं उसे डॉक्टर के पास ले जाओ,उसके बाद दोनों जाकर कांता को देखे वह बेहोश पड़ी हुई थी, मुंह से खून निकल रहा था, तब उसका देवर रमेश गांव सोंठि के फलेश साहू को बुलाकर कांता को मोटरसाइकिल से शक्ति अस्पताल लेकर गए रीफर किए जाने पर उसका इलाज कोरबा में चला तथा दिनांक 14.12. 2020 को कांता की मृत्यु हो गई। उक्त सूचना के आधार पर थाना शक्ति में अपराध क्रमांक 434/ 2020 धारा 302 भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत FlR लिखा गया घटनास्थल का नक्शा तैयार कर आवश्यक सामग्री जप्त किया गया। जांच पश्चात न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी में चालान प्रस्तुत किया गया। उपरपण पश्चात केस द्वितीय अपर सत्र न्यायालय में चला। शासन की ओर से कुल 17 गवाहों का बयान करवाया गया। आरोपी के अधिवक्ता द्वारा बताया गया कि घटना का कोई आईविटनेस नहीं है, आरोपी ने अपनी बहन की हत्या नहीं किया है उसे झूठा फंसाया गया है, आरोपी का अपनी बहन के साथ कभी कोई विवाद नहीं रहा है दोनों का संबंध अच्छे रहे हैं इसलिए आरोपी को दोष मुक्त किए जाने का निवेदन किया गया। शासन की ओर से बताया गया कि आरोपी के विरूद्ध पर्याप्त सबूत है आरोपी को कठोर से कठोर दंड से दंडित करने का निवेदन किया गया। दोनों पक्षों को सुनने के पश्चात द्वितीय अपर सत्र न्यायालय शक्ति के पीठासीन अधिकारी डॉ. ममता भोजवानी ने निर्णय देते हुए दिनांक 5.7.2023 को लिखा की आरोपी ने अपनी छोटी बहन मृतका कांताबाई को मारपीट कर उसकी हत्या किया है। भारतीय संस्कृति में भाई का दर्जा पिता तुल्य होता है एवं प्रत्येक भाई पर अपनी बहन की रक्षा का दायित्व होता है जबकि इस प्रकरण में उक्त भाई रक्षक नहीं वरन अपनी बहन का हत्यारा है, इसलिए आरोपी मनीष कुमार को धारा 302 भारतीय दंड संहिता में आजीवन कारावास एवं 10000रु. के अर्थदंड से दंडित किया जाता है। छ.ग. शासन की ओर से शासकीय अधिवक्ता/ अपर लोक अभियोजक ऋषिकेश चौबे ने पैरवी किया।