June 28, 2025

मोक्षदा एकादशी एवं गीता जयंती समारोह का आयोजन

भगवान श्रीकृष्ण की साक्षात् परब्रह्म वाणी हैं गीता।

श्री जगन्नाथ मंदिर के प्रांगण में गीताज्ञान का अद्भुत ज्ञानार्जन कर लौटे

शशिभूषण सोनी-चांपा

जांजगीर-चांपा न्यूज़ । भगवान सर्वत्र व्याप्त हैं। सभी प्राणियों में हैं। भगवान वो हैं, जो सब योनि का संचालन कर सबके हदय में उत्साह, उमंग, प्रसन्नता और सुख-शांति प्रदान करें । वह ऐश्र्वर्य मुक्त हो। हमें मुक्ति प्रदान करने के लिए ही हमें मनुष्य बनाया हैं, वही भगवान हैं। इस कलयुग में हम सबको भगवान का श्रद्धा और विश्वास से भगवन्नाम् का चिंतन करना चाहिए” उक्त उद्गार जगन्नाथ मठ मंदिर,चांपा के मठाधीश, ब्रम्हचारी पंड़ित लालदास महंत महराजजी ने मुख्य अभ्यागत आसंदी से कहा। इस अवसर पर समारोह की अध्यक्षता पंड़ित दिनेश कुमार दुबे जी कर रहे थे। इस दौरान विशेष रूप से पंड़ित लखनदास वैष्णव अयोध्या से पधारे हुए थे ।

बैष्णव जी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण के कर्म स्थली कुरुक्षेत्र और भगवान की लीलाओं का वर्णन किया।कोरोना की महात्रासदी के बाद जगन्नाथ मंदिर में आयोजित यह समागम एक संजीवनी बूटी के रुप में देखा गया। पूर्ण रूप कोरोना के नियमवली का पालन करते हुए श्रद्धालु भक्त दूर-दूर बैठकर गीता जयंती समारोह का आनंद लेते रहे। दुर्घटना से हाथ पैर में फैक्चर होने के बाद भी पंडित दिनेश दुबे जी ने जिस आध्यात्मिक वातावरण में श्रद्धालुओं को रसास्वादन करवाया उस अद्भुत कृपा प्रसंग की हर कोई तारीफ कर रहा हैं ।
गीता जयंती समारोह के संयोजक रामकिशोर शुक्लाजी के द्धारा प्रतिवर्ष जगन्नाथ मठ मंदिर के प्रांगण में गीता जयंती महोत्सव- 2021 का आयोजन दीप प्रज्जवलित करके किया गया।


पूर्व प्राचार्य पंड़ित हरिहर प्रसाद तिवारी ने कहा कि गीता के उपदेशों को अपने आचरण में लाना जरुरी हैं । गीता का हर अध्याय ज्ञान और भक्ति का मार्ग प्रशस्त करता हैं । शिक्षक एवं निराला साहित्य मंडल के प्रधान सचिव रविन्द्र द्विवेद्वी ने कहा कि गीता किसी भाषा, धर्म या मजहब का ग्रंथ नही संपूर्ण मानवता का ग्रंथ हैं। इसके अर्थ और भाव को समझकर अपने जीवन में उतारें । कार्यक्रम के आयोजक सराफा व्यवसाई अनिल कुमार सोनी ने कहा कि गीता की गणना विश्व के महान ग्रंथों में किया जाता हैं। इसमें 18 अध्याय और 700 श्लोकों का भंडार हैं । समारोह की अध्यक्षता कर रहे अंचल के मानस मर्मज्ञ,टीका एवं श्रीमद्भागवत कथा के माध्यम से कीर्ति पताका फहराने वाले पंड़ित दिनेश कुमार दुबे जी ने गीता के हरेक श्लोक में कृष्ण भक्ति का ज्ञान मिलता हैं। सदाचार, सद्भाव करते-करते ही ज्ञान का विस्तार होता हैं। विश्व ने भारत को विश्वगुरु का दर्जा दिया। आदि ग्रंथ गीता में कही भी ईसाई, मुस्लिम या अन्य धर्म की आलोचना नहीं हैं। प्रेम, योग और ध्यान को ही इसमें प्रधानता दी गई है। श्रीमद्भागवत गीता के प्रत्येक श्लोक में ज्ञान का अद्भुत समिश्रण है । श्रीदुबेजी ने अपने आख्यान में ईश्वर के अंश, सांख्य तत्व, गर्भावस्था में जीव की स्थिति, भारतवर्ष को विश्व गुरु का दर्जा में गीता की प्रासंगिकता,गंगा और गायत्री मंत्र की महत्ता, गुरु और गीता का आपस में जुड़ाव के साथ गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने की मांग केन्द्रीय सरकार से की हैं। समारोह को संबोधित करते हुए पूर्व सहायक प्राध्यापक शशिभूषण सोनी ने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता वास्तव में भगवान श्रीकृष्ण की साक्षात् परब्रह्म वाणी हैं, जो धर्मक्षेत्र, कुरुक्षेत्र के मैदान में कर्तव्य पथ से विमुख हो रहें मोहग्रस्त अर्जुन को कर्मपथ पर लाने के लिए उपदेशों का वर्णन हैं ।

इस अवसर पर आयोजित समारोह में पंड़ित कृष्णधर मिश्रा, शांति, शिवराम, शिवम, आलोक कुमार, गोरेलाल, डॉ शांति कुमार, लक्की, सिद्धनाथ सोनी,अशोक कुमार सराफ, विनोद कुमार तिवारी, सत्यवान प्रसाद सोनी, प्रदीप कुमार केशरवानी सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।गीता जयंती समारोह में मानस मर्मज्ञ दिनेश कुमार दुबे जी का,लालदास महंत,लखनदास एवं हरिहर तिवारी का पुष्प गुच्छ और माल्यार्पण से स्वागत गणमान्य लोगों ने किया।और शारीरिक अवस्था के बावजूद समारोह में पधारने के लिए दीघार्यु की कामना की।
समारोह का संचालन रविंद्र द्विवेद्वी और आभार व्यक्त शशिभूषण सोनी ने किया। दो वर्ष पूर्व गीता जयंती समारोह के दौरान मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित करते हुए राजकृष्ण अग्रवाल की तबीयत बिगड़ी और कुछ देर में ही स्वर्ग सिधार गए थे उन्हें स्मरण करते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।अंत में महाआरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सुर्खियां