अंततः नहीं हो पाया सार्वजनिक रूप से दशहरा उत्सव का आयोजन
सक्ती–: दशहरा उत्सव की अगर बात करें तो इसे लेकर सक्ती में इसका इतिहास इतिहास कुछ अलग ही है राजा रजवाड़ों का शहर सक्ती नगर में पहले दशहरा उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता था जहां विशालकाय रावण को शहरी क्षेत्र के अलावा दूर-दूर से ग्रामीण क्षेत्रों के लोग देखने के लिए पंडित दीनदयाल स्टेडियम बाजार ग्राउंड पहुंचते थे जहां हजारों की भीड़ पहुंचती थी वही बाजार ग्राउंड के चारों ओर खेल तमाशे झूले होटल व्यवसायिक प्रतिष्ठान लगाए जाते थे वही लोग दशहरा उत्सव का खूब आनंद उठाते थे उसके पश्चात लगभग 20 वर्ष तक दशहरा उत्सव नहीं मनाया गया इस परंपरा को पुनः प्रारंभ करने के लिए एक बार पुनः पत्रकारों के एक संगठन द्वारा सन 2004 में भव्य रुप से दशहरे का आयोजन किया गया वही दशहरे के दूसरे दिवस सक्ती नगर एवं ग्रामीण अंचल के नागरिकों के मनोरंजन के लिए भव्य आर्केस्ट्रा का आयोजन किया जाता रहा पत्रकारों के द्वारा प्रारंभ की गई यह सिलसिला चार पांच वर्ष चलने के पश्चात एक बार स्थगित होने के कगार पर आ गई लेकिन नगर पालिका के द्वारा दशहरा उत्सव फिर कुछ वर्षों तक मनाया गया वर्तमान समय में कोरोना कॉल में जिला प्रशासन के द्वारा जारी निर्देश को देखते हुए दशहरा उत्सव के लिए किसी भी तरह का प्रयास नहीं किया गया एवं इस वर्ष दशहरा उत्सव गली मोहल्लों में बच्चों के द्वारा छोटे-छोटे रावण बना कर उसका वध कर मनाया जा रहा है