June 27, 2025

बेमौसम हुई आफत की बारिश ने धान की कटी फसल को किया बर्बाद।

मयंक शर्मा- जशपुर नगर ब्यूरो चीफ

कहि खेतो में कटाई कर रखे धान के करपे तो कही खलिहानो में रखे गाँज बारिश से भींगे किसानों को हो सकता है भारी नुकसान

कोतबा:-अन्नदाता किसानों को बेमौसम हुई बारिश ने भारी नुकसान पहुंचाया है। जिले के सबसे अधिक धनोपार्जन वाले कोतबा क्षेत्र में हुई बेमौसम बरसात की मार से किसानों की हजारो एकड़ की फसल बर्बादी की कगार पर है।।अब बची खुची धान की फसल को लगातार बारिश ने कटाई और मिंजाई पर रोक लगा दी हैं।इधर बारिश में भीग जाने और खेतों में कटाई काम रुक जाने को लेकर उनके माथे पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा रही है।सरकारें किसानों को लेकर कितने भी दावे कर ले पर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।

एक ओर जहां गर्मी के दिनों में पूरे जिले के खेतों में वीरानी और सूखी जमीन देखी जाती है। वहीं गर्मी के मौसम में कोतबा के किसानों के खेत में धान की खड़ी फसल लहलहा रही है। बीते ग्रीष्मकालीन धान की फसल में मौषम की बेरुखी ने किसानों की धान की फसल को ओलावृष्टि ने चौपट कर भारी नुकसान पहुंचाया था।लेकिन राजस्व विभाग और कृषि विभाग ने 25% से कम नुकशान बताकर अपने हाथ खड़े कर लिये लेकिन बारिश के मौषम में धान कटाई कर किसान अपने खेतों में करपा रखे हुए थे। तो कुछ किसान खलिहानों में गाँज मार कर धान को मिसाई के लिए रखे हुए थे बीती रात अचानक हुई बारिश होने से किसान आपदा में विपदा की मार झेल रहें है।
विदित हो कि वर्ष 2005-06 में बने खमगड़ा जलाशय का लाभ किसानों को मिल रहा है। लेकिन किसानों के द्वारा गर्मी व बरसात के दोनों मौसम में खून, पसीने से उगाई गई इस धान की फसल बर्बाद होने से फसल बीमा का कोई लाभ निहि मिल रहा है। कोतबा क्षेत्र में जहाँ इस बार ग्रीष्मकालीन फसल करीब 5 हजार एकड़ से अधिक में किसानों ने धान की फसल की थी।तो वही बारिश के मौषम में 1400 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में धान की फसल उगाई हुई है। जो परिपक्व हो गए हैं।और लगभग 35 प्रतिशत किसानों ने कटाई भी पूरी कर दी है।जबकि 65% किसानो के फसल अब खेतों में सड़ने के कगार पर है। क्षेत्र में खमगड़ा जलाशय परियोजना किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है, वहीं परियोजना के प्रति प्रशासन के गंभीर नहीं होने से किसानों को अपेक्षित लाभ नहीं मिल पा रहा है। कोतबा क्षेत्र जिले के सबसे अधिक धान उत्पादक क्षेत्र में शामिल है। पिछले 15 वर्षों में इस क्षेत्र से अधिक धान का उत्पादन और कहीं नहीं हुआ। विशेष बात यह है कि इस क्षेत्र के किसान गर्मी के दिनों में भी पूरी फसल लेने का प्रयास करते हैं और यह संभव भी हुआ है, खमगड़ा जलाशय परियोजना से इस परियोजना के कई सार्थक और साकारात्मक पक्ष हैं, जिससे किसानों को बड़ी अपेक्षा रहती है। इस वर्ष लगभग 5 हजार एकड़ में किसानों ने धान की फसल तैयार की है।


जिसकी कटाई मई माह के अंतिम सप्ताह से शुरू हो गई है। और जून माह में किसान कटाई के साथ नई फसल का स्वाद भी ले लेंगे।लेकिन इस बार उनके मंसूबों पर पानी फिर रहा हैं। खमगड़ा जलाशय परियोजना वर्ष 2005- 2006 में पूर्ण हुई थी। वहीं फसलों की बुवाई की लागत में हुई बढ़ोतरी ने किसानों की और कमर तोड़ दी। अब किसानों पर कुदरत ने अपना कहर बरपाया है। शुक्रवार मध्यरात्रि हुए तेज बारिश एवं तेज हवाओं के साथ शुरू हुई बे मौसम बरसात ने एक बार फिर किसानों की कमर तोड़कर रख दी है। बारिश से तैयार हो चुकी धान की फसल एवं किसानों के खनिहाल में रखे धान के गांज को भारी नुकसान हुआ है । जिसको लेकर किसान चिंतित हैं । पूरे जिले में शुक्रवार दिन भर बादल छाए रहे तो वही बीती रात को अचानक मौसम में बदलाव हुआ। और बढ़ते तापमान के बीच ठंडक घुल गई। शुक्रवार को दिनभर आसमान पर बादलों का डेरा रहा तो ठंडी हवाएं भी चली। रात में हुई बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी और फसलों में नुकसान किया। अचानक बदले मौसम के साथ बारिश की बूंदों ने किसानों की चिंताओं को बढ़ा दिया और रात में करीब लगातार 3 घण्टे तक हुई बारिश ने किसानों की फसलों पर आफत बनकर बरसी। जशपुर जिले के कोतबा सहित सभी क्षेत्रों में हो रहे बारिश के बीच जिले मेंं मौसम बदला तो किसान ओलावृष्टि की संभावनाओं के कारण अधिक चिंता में नजर आया। शुक्रवार को सुबह के समय ठंडक भरा माहौल रहा। वर्तमान में खेतों में तैयार हो के लगभग 65 प्रतिशत फसल पड़े हुए हैं, ऐसे में किसान फसल लेने के लिए अपनी तैयारियों में लगा है बारिश के साथ तेज हवाओं ने धान के अन्य फसलों को नुकसान होने की सम्भावना है । 35 प्रतिशत धान खलिहान में तो 65 प्रतिशत खेतों में धान की फसल पड़े हुए हैं । जिस किसान का फसल कटाई हो गया है ओ मिसाई के लिए चिंतित हैं । जिनका फसल कटा नही ओ कटाई के लिए परेशान नजर आ रहे हैं इस आफत की बारिश से इस साल के फसल बर्बाद होने की पूरी आशंका है । खलिहान पर पड़े धान पर अचानक पानी पड़ने पर पुरा का पूरा गांज बर्बाद हो गया है। ऐसे में देखना ये होगा कि शासन प्रशासन किस मापदंडों को अपना कर किसानों तक राहत रूपी मदद किस रूप में पहुँचाती है।

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