कार्तिक आंवला नवमी पर महिलाओं ने की आंवला पेड़ की पूजा-अर्चना





मयंक शर्मा – जशपुर नगर ब्यूरो चीफ
कोतबा:-परिवार की सुख समृद्धि के लिए आंवला नवमी पर बंजारा समाज की महिलाओं द्वारा आंवला वृक्ष की परिक्रमा लगाकर पूजा-अर्चना की गई। आंवला वृक्ष के नीचे विभिन्न प्रकार से पकवान बनाकर पकवानों का भोग लगाया और उन्हीं पकवानों से अपना व्रत खोला। घर में लगे आंवला वृक्ष के नीचे सामूहिक रूप से महिलाओं द्वारा पूजा-अर्चना की गई। कार्तिक माह की नवमी आंवला नवमी के रूप में मनाई गई।
इस वर्ष बेमौसम बारिश से महिलाओं ने घर के आंगन में लगे पेड़ के नीचे पूजा पश्चात सामूहिक भोजन किया गया.अन्य वर्ष महिलाओं द्वारा नगर के सतिघाट शिव धाम पर जाकर इस त्यौहार को उत्सव के रूप में बनाया जाता रहा है।
इस अवसर पर महिलाओं द्वारा सामूहिक पूजन, वृक्ष परिक्रमा सहित अन्य धार्मिक कार्यक्रम श्रद्धा पूर्वक संपन्न किए गए। इस दौरान महिलाओं ने आंवला वृक्ष का परिक्रमा लगाकर पूजा की गई। इस दौरान महिलाओं द्वारा घर के आंगन में लगे आंवला पेड़ के नीचे बनाये गये भोजन सामग्री को सामूहिक रूप से बैठकर ग्रहण किया गया। कोतबा सहित जशपुर जिले के विभिन्न क्षेत्रों में जगह जगह कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी पर शनिवार को आंवला नवमी मनाई गई।

सूर्योदय के साथ ही सुबह से मंदिरों और अन्य स्थानों पर महिलाओं द्वारा आंवले के पेड़ की पूजा शुरू की गई। कार्तिक स्नान कर महिलाओं ने आंवले के तने की कपूर और घी का दीपक जलाकर पूजा की। आंवला नवमी की कहानी सुनी। पेड़ के ग्यारह परिक्रमा कर पति और पुत्र की लंबी उम्र की कामना की। इस दिन स्नान, पूजन,तर्पण, दान का विशेष विधान है। महिलाओं ने पूजन, तर्पण, दान करके अक्षत फल की प्राप्ति की कामना की।आंवला नवमी पर्व क्षेत्र भर में धूमधाम के साथ मनाया गया। सुहागिन महिलाओं ने आंवला वृक्ष की पूजा अर्चना एवं वृक्ष की परिक्रमा कर अपनी मनोकामना पूर्ण करने की कामना की।इस दौरान बंजारा समाज की महिलाओं में प्रमुख रूप से श्रीमती जयश्री बंजारा,श्रीमती सत्यभामा बंजारा, श्रीमतीसंध्या बंजारा,श्रीमती मंजू बंजारा, श्रीमती निशा बंजारा सहित अन्य समाज की महिलायें शामिल रहीं।
*क्यों किया जाता है आंवले के पेड़ के नीचे भोजन? ये है इसका कारण*
आंवला नवमी के दिन भगवान विष्णु और शिव जी की पूजा की जाती है। कहा जाता है की आंवला नवमी के दिन दोनों देवता आंवले के पेड़ में निवास करते हैं। इस बार 13 नवंबर को आंवला नवमी मनाई गई।
*क्यों किया जाता है आंवले के पेड़ के नीचे भोजन? ये है महत्व*
आंवला नवमी के दिन आंवले के पेड़ के नीचे भोजन बनाकर उसके नीचे बैठकर खाने का बहुत अधिक महत्व माना जाता है। कहा जाता है की इस दिन भगवान विष्णु नें कुष्माणडक नामक दैत्य का वध किया था। यही नहीं आंवला नवमी का दिन ही था जिस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का भी वध किया था।इसीलिये आंवला नवमी के दिन पूजा अर्चना कर पेड़ के नीचे भोजन पकाकर सेवन करने का बड़ा महत्व है।
