September 16, 2024

और पंच तत्व में विलीन हो गया भारत का लाल रायगढ़ का नाम कर गया रौशन

रायगढ़। जहां तक मेरी स्मृति पहुंचती है ,किसी शख्स को विदा करते हुए इस तरह इस शहर को उमड़ते घुमड़ते हुए मैंने पहली बार देखा है। इस शहर के सीने में लोगों के खो जाने को लेकर  यूं तो बहुत सी तकलीफें चस्पा हैं पर कर्नल विप्लव त्रिपाठी, अनुजा त्रिपाठी और मास्टर अबीर के जाने ने, न जाने कितने घाव किये हैं इस शहर के सीने में!गर वे होते तो और भी बहुत कुछ करते इस देश के लिए ! दो मासूमों का जाना और भी तकलीफदायक है लोगों के लिए। कोई भी इस खबर को सुनता है तो उसके भीतर का दर्द छलक उठता है।लोग अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहते हैं– “आतताइयों के सीने में दिल नहीं होता , होता तो इस तरह की घटनाओं को क्या वे अंजाम देते?”
लोगों की बातें सुनकर लगता है कि यह बलिदान इस देश के इतिहास में इस तरह दर्ज हुआ है कि कर्नल विप्लव जाते जाते इस शहर को नई ऊंचाइयां प्रदान कर गए हैं। रायगढ़ मुक्तिधाम में पुरुषों और महिलाओं की असंख्य भीड़ के बीच सेना के शीर्षस्थ अफसरों ने उनके सम्मान में जब गार्ड ऑफ ऑनर दिया तो गमगीन लोगों के मनोभावों को देखकर ऐसा महसूस हुआ जैसे उनका सीना फक्र से चौड़ा हो गया हो । बहरहाल उनका बलिदान जहां इस शहर के लोगों को गर्व का एहसास कराता है वहीं दर्द और एक रिक्तता से भर भी देता है, एक ऐसी रिक्तता जिसे भरने में न जाने कितने वर्ष बीत जाएंगे।
कर्नल विप्लव त्रिपाठी, कर्तब्य निभाते हुए आप अपने और अपने परिवार के बलिदानों की वजह से हमेशा इस शहर को याद आओगे। जब भी बलिदानों की बात आएगी, आपका नाम इस शहर के लोगों की जुबां पर सबसे पहला पुकारा जाएगा। लेखक रमेश शर्मा की शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी को श्रद्धांजली

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