औचित्यहीन टी एल बैठक,कलेक्टर के अधीनस्थ अधिकारियों की लापरवाही, आम नागरिकों को समय- सीमा में नहीं मिल रहा है लाभ





सुनीता सिंह राजपूत – गरियाबंद ब्यूरो चीफ
गरियाबंद । जिला प्रशासन प्रमुख कलेक्टर के द्वारा प्रत्येक सप्ताह होने वाले टी एल मे समस्त विभागो का समीक्षा किए जाने बैठक आयोजित किया जाता है। जिसमें समीक्षा एवं समय सीमा में जिला कलेक्टर द्वारा निराकरण किए जाने निदेर्शित किया जाता है।
उल्लेखनीय है कि आम जनता का कोई भी कार्य पदस्त अधिकारियों के द्वारा समय सीमा में नही किया जा रहा है। जिसमें विभिन्न निमार्ण कार्य, मजदूरी भुगतान, राशन कार्ड ,मुआवजा राशि, वन अधिकार पट्टा, छोटे कमर्चारी का मासिक वेतन, स्कूलों मे अध्ययनरत छात्र-छात्राओं का जाति प्रमाण पत्र, मूल निवास प्रमाण पत्र ,आय प्रमाण पत्र ,जैसे महत्वपूर्ण कार्य नही हो पा रहा है। जिसके कारण विभिन्न गांव के सैकड़ो ग्रामीण आए दिन सैकड़ों की संख्या में जिला कलेक्टर परिसर में देखे जाते है। इससे प्रतीत होता है कि प्रति सप्ताह होने वाले टी एल बैठक औचित्य हीन है,जिसमें जिला प्रशासन को अपने अधिनिस्थ लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर कड़ी कायर्वाही करें,और समय सीमा में कार्य करने के लिए बाध्य करें, जिससे आम नागरिकों को समय सीमा से लाभ मिल सके ।
कलेक्टर ने टीएल बैठक में अनुकंपा नियुक्ति निराकरण के दिए निर्देश, जिला अधिकारियों ने किया अनदेखा।
कलेक्टर निलेशकुमार क्षीरसागर के द्वारा प्रत्येक सप्ताह अधिकारियों के होने वाले समय-सीमा बैठक में समीक्षा के दौरान लगातार जिले में अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरण मामले में सभी पात्र आवेदकों का अनुकंपा नियुक्ति सुनिश्चित किए जाने के निर्देश दिए गए, जिसके बावजूद शिक्षा विभाग के अधिकारी ने कलेक्टर द्वारा दिए गए निर्देश को अनदेखा कर रहे हैं, जिसके चलते आज भी कई मामले लंबित है।वही शिक्षा विभाग द्वारा प्रकरणों का निराकरण नहीं किए जाने के कारण, लंबित अनुकंपा नियुक्ति के आवेदकों द्वारा विभाग के चक्कर लगाते थक चुके है, जिसके चलते दिवंगत के आश्रित परिवारों को जीविकोपार्जन के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। जबकि वर्षों से लंबित मामले का निराकरण किए जाने के लिए छत्तीसगढ़ शासन सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा तृतीय श्रेणी के पदों पर अनुकम्पा नियुक्ति के लंबित प्रकरणों के निराकरण की दृष्टि से, विभाग के परिपत्र दिनांक 14 जून 2013 द्वारा सेवाकाल के दौरान शासकीय सेवकों का आसामयिक निधन होने पर उनके परिवार के आश्रित सदस्य को अनुकम्पा नियुक्ति देने के संबंध में जारी पुनरीक्षित निर्देश के बिन्दु 8 ( 1 ) में प्रावधानित 10 प्रतिशत पदों के सीमा बंधन को दिनांक 31 मई 2022 तक शिथिल किया गया है। ऐसे में अनुकंपा नियुक्ति लंबित प्रकरण का निराकरण नहीं किया जाना शिक्षा विभाग के कार्यप्रणाली पर संदेहास्पद प्रतीत होता है,जो जांच का विषय हैं।
