June 25, 2025

गांधी भवन, चांपा में जीवंत झांकियों के साथ श्रीमद्भागवत कथा का आज चतुर्थ दिवस ।

भगवान की भक्ति करे । बिना भक्ति के सद्गति या मोक्ष संभव ही नहीं हैं. : सुप्रसिद्ध भागवताचार्य राजेंद्र महाराज ।

न्यूज़ चांपा ! भगवान हमेशा ही अपने भक्तों के वशीभूत हैं। भगवान के भक्तों में कितनी शक्ति होती हैं कि वह अपने भक्ति के बल से ही भगवान को सातवें आसमान से भी नीचे उतार लेते हैं। प्रत्येक मनुष्य को चाहिए कि वह भगवान की भक्ति अवश्य ही करें क्योंकि बिना भक्ति के सद्गति या मोक्ष संभव ही नहीं हैं l मुक्ति तो भक्ति देवी की दासी हैं l उक्त बातें अहीर परिवार के द्वारा नगर के हृदय स्थल गांधी भवन ,चांपा में संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन भक्ति की महिमा का वर्णन करते हुए प्रसिद्ध भागवताचार्य राजेंद्र महाराज ने व्यासपीठ से प्रकट किया l

उन्होंने श्रोताओं से आग्रह किया कि अपने सभी कर्मों को ही पूजा बना सकते हैं , अपने सुनियोजित कार्य करते हुए ही भगवान का स्मरण करते रहना से कर्म ही पूजा बन जाती हैं l संसार में रहते हुए सामान्य से विशिष्ट बनने का प्रयास हमें करते ही रहना चाहिए , किंतु भगवान राम को हमेशा ही अपने मन में बसा कर , क्योंकि भक्ति ही सर्वोपरि हैं, भगवान का भक्त वही हैं जो भगवान से विभक्त नहीं हैं l
भगवान हमेशा अपने भक्तों का मान बढ़ाते हैं , बाल्यकाल से ही ध्रुव जी और प्रह्लाद ने भगवान की भक्ति कर साक्षात् भगवान का दर्शन किया था , ध्रुव की भक्ति के कारण भगवान को मधुबन में आना पड़ा था और भक्त प्रहलाद ने अपने पिता हिरण्यकश्यप की पूछने पर कहा कि मेरे भगवान नारायण तो इस खंभे में भी हैं । भगवान भक्तों के विश्वास को कभी नहीं तोड़ते । भक्ति के मार्ग में हमारी आस्था , भगवान पर विश्वास और फल प्राप्ति के लिए धैर्य था तीन चीजों की नितांत आवश्यकता होती हैं l प्रह्लाद के कहने पर भगवान श्री नारायण ने नरसिंह नाथ का अलौकिक रूप धारण किया और खंभें से प्रकट होकर अपने प्रिय भक्त की रक्षा किया l
आचार्य राजेंद्र जी महाराज द्वारा तीसरे दिन की कथा में सती प्रसंग की कथा का भी विस्तार से वर्णन करते हुए बताया गया कि जीवन में आशा ही दुःख का सबसे कारण बन जाता हैं , इसलिए आशा और भरोसा भगवान पर ही रखना चाहिए l सती के मन में बड़ी आशा थी कि मुझे अपने मायके में बड़ा सम्मान मिलेगा किंतु दक्ष के मन में भगवान शिव के लिए विरोध और नकारात्मक भाव थे , जिसके कारण अपने पति का अपमान देखकर सती अग्नि कुंड में कूद गई l धर्मपत्नी और पतिव्रता स्त्री कभी अपने पति का अपमान सहन नहीं करती , सती ने अग्नि कुंड में कूदते हुए भगवान भोलेनाथ से एक ही प्रार्थना की थी कि जब भी धरती में फिर से मेरा जन्म हो आप ही मेरे पति बने अंत समय में जो मती बनती हैं वैसे ही हमारी गति भी होती हैं , वही सती दूसरे जन्म में पार्वती बनी और भगवान शिव पति के रूप में प्राप्त हुए l
कथा में प्रतिदिन सैकड़ों श्रोताओं को कथामृत और जीवंत झांकियों के साथ संकीर्तन और दृष्टांत का आनंद प्राप्त हो रहा हैं । तीसरे दिन की कथा में जय थवाईत नगर पालिका अध्यक्ष चांपा, सुनील साधवानी, ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष,श्रीमति ज्योति किशन जिला पंचायत, सदस्या जांजगीर-चाम्पा, तमिल देवांगन पार्षद, किशन लाल सोनी, पूर्व पार्षद सुनैना-गोपि बरेठ पार्षद अधिवक्ता महावीर सोनी, चंद्रकांत साहू , अतीत दुबे, अंशुमान दुबे ,सन्तोष थवाईत पूर्व पार्षद , छत्तीसगढ़ राज्य युवा आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष कार्तिकेश्वर स्वर्णकार ,छत्तीसगढ़ हाथकरधा एवं विपणन बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष कमल लाल देवांगन , पुरुषोत्तम , अर्जुनलाल सोनी , सरस्वती उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्राचार्य राजेंद्र सिंह ठाकुर , खेमकरण देवांगन, पत्रकार राजीव मिश्रा, प्रेस क्लब एवं स्वर्णकार समाज के मिडिया प्रभारी शशिभूषण सोनी, श्रीमती कविता देवांगन , श्रीमती आशा पाठक सहित अन्याय लोग उपस्थित रहे । कथा में सहभागी शशिभूषण सोनी ने बताया कि श्रीमद्भागवत कथा स्थल पर उमड़ रही भारी संख्या में भीड़ साबित करता हैं कि धर्म और आध्यात्म के प्रति लोगों में आस्था और विश्वास हैं । धर्म के प्रति आस्था और सदविश्वास ही मनुष्य को सन्मार्ग दिखाता हैं ।

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