“चिरायु ” से होगा हॄदय रोगी चार बच्चों का निःशुल्क इलाज.





लक्ष्मी नारायण लहरे
कोसीर।सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सारंगढ में 2014 से चलित चिरायु टीम एक बार फिर सफलता की एक सीढ़ी पार की है। दैनिक विजिट में शामिल स्कूल व आंगनबाड़ी स्वास्थ्य जांच के दौरान चिन्हित हॄदय रोगी चार बच्चों क्रमशः टिया चौहान 8वर्ष खैरा, ओम मैत्री 2.5वर्ष खैरा, नेहा मैत्री 14वर्ष खैरा व रिंकी पटेल 11 वर्ष गोडीहरी जिन्हें उच्च इलाज की नितांत आवश्यकता थी अतः इन्हें इकोकार्डियोग्राफी के लिए मेडिकल कॉलेज रायपुर चिरायु टीम द्वारा 27 दिसम्बर को लाया गया जहाँ जांचोपरांत 3बच्चों का ऑपरेशन / इलाज अगले नए वर्ष जनवरी 22 के प्रथम सप्ताह में बुलाया गया है तथा 1 बच्ची को पुनः जाँच 3 माह के बाद कहा गया है।
हॄदय रोगी बच्चों में मुख्य समस्या बार – बार सर्दी व खांसी होना, सांस फूलना, कमजोर लगना, जल्दी थक जाना, सीने में दर्द होना, शारीरिक विकास का न होना, इम्मयूनिटी पावर कम होना, कन्सन्ट्रेशन छमता कम होना, नाखूनों, त्वचा व होंठों पर नीलापन दिखाई देना, सुस्त व चुप्प रहना तथा जोड़ों में दर्द होना आदि इनमे से कोई भी लक्षण हो सकता है। कभी कभी हॄदय रोगी बच्चों में कोई भी प्रकार की कोई समस्या नही होती है जिसे अलक्छनात्मक हॄदय रोग कहते हैं जो सिर्फ ह्रदय की धड़कन और इको से पता चलता है। लक्छण के अनुसार जन्मजात हॄदय रोग भी कई तरह के होते हैं जैसे – सामान्यतया ए0एस0डी0, वी0एस0डी0, पी0डी0ए0, मिल ही जाते हैं। माइट्रल वाल्व प्रोलैप्स किसी भी उम्र में हो सकता है।कठिन परिस्थिति में आर0एच0डी0 – जिसमे (एओर्टिक रिगर्जिटेसन, एओर्टिक स्टेनोसिस, माइट्रल रिगर्जिटेसन, माइट्रल स्टेनोसिस) तथा कॉम्प्लिकेटेड में टी0ओ0एफ0 जिसमे चार प्रकार की समस्याएँ एक साथ होती हैं जैसे वी0एस0डी0, हाइपर ट्रॉफी ऑफ लेफ्ट वेंट्रिकल, पल्मोनरी स्टेनोसिस व मिस्प्लेस्ड एओर्टा।
इन सभी प्रकार के जन्मजात विकृति के लिए एक्सपर्ट एडवाइजर और इकोकार्डियोग्राफि से ही फाइनल डाइग्नोसिस सम्भव है।सारंगढ अंचल में भी बहुत सारे बच्चे हॄदय रोग के हैं परंतु माता पिता इलाज या जांच के लिए भी तैयार नही हैं। इसके बावजूद भी चिरायु टीम निरन्तर उनको समझाने का प्रयास करते रहती है। इस कार्य हेतु माता पिता की जागरूकता अति महत्वपूर्ण है।
इस पूरे रचनात्मक सफल कार्यक्रम में जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ0 केशरी सर, नोडल डॉ योगेश पटेल, बी0एम0ओ0 डॉ0 सिदार, बी0पी0एम0 श्री एन0एल0 इजरदार जी, चिरायु के अधिकारी डॉ0 पी0 डी0 खरे, डॉ0 बद्री, डॉ0 प्रभा, डॉ0 नम्रता, डॉ0 पटेल, कर्मठ व जुझारू फार्मासिस्ट योगेश चन्द्रा का सहयोग रहा है।
