आखिरकार उजड़ गया शहर का बाजार
लोगों के आंसुओ नहीं हुआ कोई भी असर
कुछ लोग आपदा को अवसर बनाकर टूटे लोहे को ले जा रहे हैं अपने घर
दिसंबर 2012 में तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कार्तिकेय गोयल द्वारा शक्ति के अधिकांश हिस्से को तोड़फोड़ कर दिया गया था उसके बाद से वह इससे आज तक ठीक से संभल नहीं पाए हैं जिन लोगों के जिन लोगों के आशियाने और दुकाने टूटी थी उनमें से अधिकांश लोग आज भी दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं वैसा ही कुछ नजारा अब फिर से बुधवारी बाजार जो नगर का सबसे प्रमुख और व्यस्ततम बाजार रहा है वहां की 160 से ज्यादा दुकानों मैं से अधिकांश दुकानों को तोड़ा जा चुका यहां तक कि नगर पालिका द्वारा नीलामी की गई संत गुरु नानक शॉपिंग कंपलेक्स की दुकानों को भी नहीं बख्शा गया है बल्कि सर्वप्रथम दुकानों को ध्वस्त किया गया है लोग परेशान हैं और अत्यंत दुखी है शासन प्रशासन को कोसे जा रहे हैं
यहां सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि लोगों को यही नहीं पता कि यहां तोड़फोड़ होने के बाद क्या किया जाएगा और इनके विस्थापन के लिए किस प्रकार की क्या व्यवस्था की जाएगी इस विषय पर अनुभवी अधिकारी राजस्व शक्ति से जब बात की तब उन्होंने कहा कि भविष्य में किसी भी प्रकार की योजनाओं में इस फोन में पीड़ित लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी परंतु लोगों को भरोसा बहुत कम है क्योंकि 10 वर्ष पूर्व हुई तोड़फोड़ की पीढ़ी आज भी व्यवस्थापन के लिए भटक रहे तो इनके व्यवस्थापन होने की संभावना या आशा कैसे की जा सकती है अधिकांश लोगों ने भय के कारण अपने स्वयं के खुद के आशियाने को जान लिया है जो इंसान अपने आशियाने को उजाड़ रहे हैं उनके दिल के ऊपर क्या बीत रही होगी यह शायद उनसे बेहतर कोई नहीं समझ सकता कोई 20 वर्षों से कोई 30 वर्षों से कोई कोई तो 40 वर्षों से उस स्थान पर काबिज है परंतु सिर्फ तीन दिवस के नोटिस पर उन पर शासन प्रशासन की गाज गिरी है जिससे पूरी तरह से स्तब्ध है और उनका भविष्य क्या होगा वह स्वयं सोच नहीं पा रहे हैं