हत्या के 5 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा ।
सक्ति _ शासकीय अधिवक्ता /अपर लोक अभियोजक श्री ऋषिकेश चौबे से प्राप्त जानकारी के अनुसार मामले का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार से है कि प्रार्थीया उर्मिला सिदार ने दिनांक 18.1.2020 को पुलिस थाना चंद्रपुर में आकर रिपोर्ट दर्ज कराई की दोपहर 2:00 बजे जब घर में वह उसकी मम्मी बेल कुमारी उसके पिता चंद्र कुमार घर के अंदर थे तभी आरोपी दौलत राम, श्याम लाल, हितेश, छोटू, सोनू तथा दिनेश सीदार एक राय होकर उसके घर में जबरदस्ती घुसकर उसके पिता चंद्रकुमार सिदार को गंदी गंदी गाली गलौज करते हुए तथा जान से मारने की धमकी देते हुए लात घुसा एवं थप्पड़ से उसके पिता एवं माता दोनों को मारपीट करने लगे वह मारपीट करते समय अपने मोबाइल से उन लोगों का वीडियो बना रही थी तो आरोपीगण उससे मोबाइल को छीनने लगे तथा उसके साथ भी मारपीट किए उसके पिता के साथ मारपीट करने से वह जमीन पर गिर गए उसके बाद दौलत,श्याम, दिनेश, छोटू,सोनू सभी लोग उसको मार रहे थे उक्त मारपीट से उसके हाथ गाल एवं कमर में तथा उसके पिता के सिर हाथ कमर एवं पैर में चोट आई थी उसके बाद वह डायल 112 वाहन को फोन की जिसमें बैठा कर उसके पिता को इलाज हेतु चंद्रपुर अस्पताल में भर्ती किए थे। प्रार्थीय के सूचना के आधार पर थाना चंद्रपुर में अपराध क्रमांक 8/2020 धारा 294, 506, 323, 452, 147, 149 भादवी. के तहत रिपोर्ट दर्ज किया गया। इलाज के दौरान चंद्रकुमार की मृत्यु हो गई जांच के दौरान प्रार्थिया से इंटेल कंपनी का मोबाइल सिम लगा हुआ तथा सीडी कैसेट जप्त किया गया शव का पंचनामा एवं पोस्टमार्टम कराया गया तथा आरोपीगण को गिरफ्तार किया गया। संपूर्ण जांच पश्चात बाल आरोपी त्रिभुवन के विरुद्ध किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया तथा अन्य आरोपीगण के विरुद्ध न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी डभरा के न्यायालय में चालान प्रस्तुत किया गया। उपार्पण पश्चात प्रकरण शक्ति के सेशन न्यायालय में प्रेषित किया गया। आरोपीगण के द्वारा अपने आप को निर्दोष होना बताया गया। शासन की ओर से कुल 23 गवाहों का बयान करवाया गया तथा बचाव पक्ष की ओर से एक गवाह का बयान करवाया गया है। आरोपीगण के विद्वान अधिवक्ता द्वारा बताया गया कि आरोपीगण निर्दोष हैं उन्हें झूठा फंसाया गया है संपूर्ण घटना जमीन विवाद से संबंधित है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि प्रकरण में अभियोजन की ओर से मृतक के रिश्तेदार एवं हितबद्ध गवाहों के द्वारा ही घटना का समर्थन किया गया है अतः उनका गवाह विश्वसनीय नहीं माना जा सकता। किंतु विद्वान द्वितीय अपर सत्र न्यायालय के पीठासीन अधिकारी डॉ ममता भोजवानी में उपरोक्त तर्क को स्वीकार योग्य नहीं मानते हुए अपने निर्णय में बताया है कि आरोपीगण ने मृतक की हत्या करने का सामान्य उद्देश्य बनाया उक्त उद्देश्य को अग्रसर करने के लिए उसके घर के अंदर घुस कर उसके साथ हाथ, लात मुक्का से शरीर के कई हिस्सों पर मारपीट किया गाली गलौज एवं जमीन के आपसी विवाद को लेकर आरोपीगण ने मृतक की हत्या करने के हेतु के साथ उसके कई नाजुक अंगों को चोट पहुंचाया जिससे उसके आंतरिकअंगों में रक्तस्राव होने के कारण शॉक लगने से उसकी मृत्यु हुई इस तरह आरोपीगण का यह कृत्य धारा 302 भा. द. वि. के अंतर्गत हत्या की श्रेणी में आता है साथ ही आरोपीगण द्वारा आहतगण भूपेंद्र, उर्मिला एवं बेलकुमारी के साथ भी चंद्रकुमार के घर के अंदर घुस कर मारपीट कर उन्हें साधारण उपहति कारित किया जाना प्रकरण में प्रमाणित हुआ है, आरोपीगण संख्या में पांच है अतः आरोपीगण का यह जमाव विधि विरुद्ध जमाव होकर धारा 147 भादवी. के तहत दंडनीय है। उक्त संपूर्ण विवेचना के आधार पर द्वितीय अपर सत्र न्यायालय शक्ति के पीठासीन अधिकारी डॉ ममता भोजवानी ने दिनांक 25.4. 2023 को निर्णय घोषित करते हुए आरोपीगण श्यामलाल, दौलतराम, दिनेश कुमार सिदार, हितेश कुमार उर्फ सोनू तथा चितेंद्र कुमार उर्फ छोटू को धारा 450 सहपठित धारा 149 में 3 वर्ष के सश्रम कारावास एवं ₹1000 के अर्थदंड, धारा 302 सहपठिट धारा 149 में आजीवन कारावास एवं ₹10000 के अर्थदंड, 323 (तीन बार) सहपाठी धारा 149 में 1 वर्ष का सश्रम कारावास एवं ₹1000 के अर्थदंड तथा धारा 147 सहपठित धारा149 भारतीय दंड संहिता में 6 माह का सश्रम कारावास एवं ₹500 के अर्थदंड से दंडित किया गया है। छ. ग. शासन की ओर से शासकीय अधिवक्ता/अपर लोक अभियोजक ऋषिकेश चौबे ने पैरवी किया। प्रकरण में प्रतिकर दिलाए जाने की बिंदु पर विचार किया गया, मृतक चंद्रकुमार की मृत्यु हो जाने के तथ्य को देखते हुए अर्थदंड की राशि में से ₹50000 प्रतिकर के रूप में मृतक की पत्नी बेलकुमारी को दिए जाने का निर्णय भी पारित किया गया है।