June 28, 2025

सच्ची भक्ति और मुक्ति का मार्ग श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से मिलता हैं: आचार्य राजेन्द्र महराज

धर्म और आध्यात्म के चार चरणों में दान को ही प्राथमिकता दी गई हैं

जांजगीर-चांपा । सर्वस्व समर्पण का भाव रखने पर परमात्मा भी दानदाता के कर्ज दार बन जाते हैं।राजा बलि ने वामन भगवान को तीन पग भूमि दान करने का संकल्प लिया। पहले चरण में स्वर्ग , दुसरे चरण में धरती और तीसरे चरण में स्वयं के सिर पर ही भगवान का पग रखवाकर कहा कि हे प्रभु मुझें भी अपना बना लीजिए और मैं आपका बन जाऊं।राजा बलि के इस सर्वस्य समर्पण भाव से भगवान प्रसन्न हो गए और उसे रसातल का राज्य प्रदान किया।। संपूर्ण सर्वस्व समर्पण का भाव रखने पर परमात्मा की बड़ी कृपा होती हैं।आज भी यज्ञों में यजमान के हाथों में रक्षासूत्र बांधते हुए मंत्र वाचन करते हुए राजा बलि के नाम का उल्लेख किया जाता हैं। उक्त उद्गार परशुराम मार्ग कंचन की नगरी चांपा में आयोजित श्रीमद्भागवत पुराण के चतुर्थ दिवस व्यासपीठ से सुप्रसिद्ध भागवताचार्य राजेन्द्र महराजजी ने कही।
इस अवसर पर आचार्य ने कहा कि कलयुग के आगमन होने पर धर्म और आध्यात्म के चार चरणों में दान को ही प्राथमिकता दी गई है।सत्य,तप और दया का लोप हो रहा हैं।
छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध श्रीमद्भागवत कथा सरस प्रवक्ता एवं मानस मर्मज्ञ आचार्यश्री राजेंद्र जी महराज के मुखारविंद से समुद्र मंथन, वामन अवतार, श्रीराम चरित्र कथा और श्रीकृष्ण के प्राकट्य दिवस की कथा सुनाई गई।

श्रीमद्भागवत कथा श्रवण के साथी सैकड़ों श्रद्धालुओं ने मधुर संकीर्तन भजन करते हुए जीवंत झांकियों के दर्शन का लाभ परशुराम चौक, भालेराय मैदान के पास,चांपा में उठाया। स्मृति शेष ताराचंद देवांगन के वार्षिक श्राद्ध निमित्त कथा का चौथे दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में जैसे ही वासुदेव वेशभूषा में छोटे से बच्चें को टोकरी में लेकर आते हैं तब भक्तवृंद पलक पांवड़े बिछाए तालियों से स्वागत करते हैं।


महिलाओं के द्धारा मंगलगीत गाकर स्वागत-सत्कार किया गया। जन्म की खुशी में लोग नाचते-गाते और झूमते नजर आए। इस दौरान आरती भी उतारी गई। सांध्य बेला में कृष्ण जन्म के समय जब देवकी ने चतुर्भुज विष्णु का साक्षात्कार किया था। उस कथा का रसपान तुर्री-धाम के संत राजेंद्र जी महराज के श्रीमुख से सुनने का मौका मिला।
शशिभूषण सोनी ने बताया कि श्रीमद्भागवत कथा वह दिव्य कल्पतरु हैं, जिसके श्रवण, मनन और चिंतन से भक्ति और मुक्ति भी मिलती हैं। श्रीमद्भागवत कथा के विभिन्न प्रसंगों का उल्लेख आचार्यश्री के मुख से सुनाया ।जीवन धन्य हो गया । विशाल परिसर और भव्य पंडाल में संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ में श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं। इस अवसर पर संतोष सोनी , प्रदीप नामदेव , राजन गुप्ता , मनोज धामेचा , अजय विरानी , श्रीमती भावना दिनेश्वर देवांगन पार्षद , आत्माराम देवांगन अधिवक्ता , शशिभूषण सोनी, चंद्रेश कुमार सोनी, श्रीमती सुनीता , विकास शर्मा , राजकुमार तिवारी , सुधाकर राव , कुणाल वर्मा , भूषण माधुरी देवांगन , श्रीमती शशिप्रभा सोनी, रजनी देवांगन, सुशील देवांगन , सुरेश श्रीमती मीना देवांगन आदि उपस्थित थे । भागवत ज्ञान यज्ञ के आयोजक शिवकुमार श्रीमती चंद्र कली एवं योगेश कुमार श्रीमती महिमा , पवन कुमार श्रीमती कविता देवांगन द्वारा अधिक अधिक संख्या में कथा श्रवण लाभ की अपील की गई। कृष्ण जन्म पर केक, पंजरी, रसगुल्ला और पूड़ी-खीर का वितरण किया गया।

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