धान खरीदी में चंद घंटों का समय शेष परंतु अभी भी चल रहा खरीदी प्रभारियों की नियुक्ति का खेल
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प्रभारी नियुक्ति में हो रहा लाखों का लेन-देन
2 सूचियां जारी होने के बाद भी तय नहीं है खरीदी प्रभारी
छत्तीसगढ़ ने शासन द्वारा धान खरीदी की प्रक्रिया कल 1 दिसंबर से चालू हो जाएगी परंतु जिले में अधिकतर खरीदी प्रभारियों की नियुक्ति स्थाई नजर नहीं आ रही है ज्ञात हो कि अभी तक खरीदी प्रभारियों की दो सूची जारी की जा चुकी है परंतु अभी तक भी खरीदी प्रभारियों के गले नंगी तलवार लटकी नजर आ रही है
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जहां कई खरीदी प्रभारियों ने पुरानी सूची के आधार पर अपने केंद्रों में तैयारियां प्रारंभ कर दी थी वही नई सूची जारी होने के बाद नई सूची में उन प्रभारियों के नाम ही नहीं है बल्कि कई पुराने दागियों के नाम सामने आ गए हैं बताया जा रहा है कि हर खरीदी प्रभारी को नियुक्ति में लाखों रुपए का लेन-देन हो रहा है मोटी कमाई होने के कारण ना सिर्फ जिला मुख्यालय के अधिकारी बल्कि काफी सारे जनप्रतिनिधि भी इस कार्य में जुट गए हैं जिसमें प्रमुख तौर पर मालखरोदा सहकारी बैंक के अंतर्गत आने वाली धान खरीदी समितियों के प्रभारियों की नियुक्ति में विशेष करके क्षेत्र के कांग्रेसी जनप्रतिनिधि का नाम सामने आ रहा है
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प्राप्त जानकारी के अनुसार उक्त कांग्रेसी पदाधिकारी द्वारा पिछले वर्ष भी बारदाना प्रभारी नियुक्त करने में 30 से 40 हजार रूपए के लेनदेन की जानकारी आई थी अब सोचने वाली बात है कि हैं कि जब बरदाना प्रभारी की नियुक्ति में 30 से 40 हजार रूपए का लेनदेन हो रहा है तो खरीदी प्रभारी की नियुक्ति में किस हद तक लेनदेन होता होगा इसमें भ्रष्टाचार ही इस हद तक घुस चुका है कि शासन द्वारा बनाए गए नियमों को भी ताक में रखकर खरीदी प्रभारियों की नियुक्ति की जा रही है जिन खरीदी प्रभारियों द्वारा पिछले वर्ष 07 दिया गया उनको पहली सूची के पश्चात भी बाहर निकाल दिया जा रहा है और जिन दागी खरीदी प्रभारियों द्वारा शासन को चूना लगाते हुए सैकड़ों क्विंटल शॉर्टेज दिया था उन्हें नई सूची में जगह देकर इनाम से नवाजा जा रहा है
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अब विचारणीय है कि जो व्यक्ति इतने पैसे खर्च करके खरीदी प्रभारी बनेगा तो क्या वह अपनी जेब नहीं भर कर किसानों और शासन के लड़ाई के लिए कार्य करेगा बिल्कुल नहीं वह सिर्फ और सिर्फ अपनी जेब भरने में ध्यान रखेगा चाहे इसके लिए किसानों को कितनी भी तकलीफ हो या फिर शासन को कितने का भी चुना लगे